top of page

वादी - ए - नूर

Writer's picture: Soldier Stories Of KashmirSoldier Stories Of Kashmir

Devang Dhyani

 

इक वादी के निशान छोड़ आज

घर की चारदीवारी में बैठे हैं

पूछते हैं मेरे घर के उजाले

वादी के हाल कैसे हैं।


वादी पहाड़ियों, दर्रो से सजी फुलवारी है

वादी का क्या बताऊं

वादी बहुत प्यारी है।


आशाओं से सजी आंखें देखी हैं

गुड़िया के बाल को सहेजती हुई

सड़कों पर चौके- छक्के लगते जब

हंसगुल्लों की झड़ी भी लगती है।


गगन की उचाइयों को चूमती

चोटियों की पहेलियां सुलझाती घड़ी की सुई

दर्रों और नालों की ठंडक के संग

हर दिन इक नई कहानी देखी है।


वादी पहाड़ियों, दर्रो से सजी फुलवारी है

वादी का क्या बताऊं

वादी बहुत प्यारी है।


सफेद चादर को ओढ़े कभी

तो धूप की चमक सी उजला जाती है

हंसी है मेरी कश्मीरियत की

अंधेरे को भी रोशन कर जाती है।


हर सड़क की मोड़ पर

मेरे चंद लम्हात छोड़ आया हूं

तुमने ही कहा था कल मैं आधा ही हूं

आधा खुद को वादी में छोड़ आया हूं ।


अब और पूछोगे वादी के बारे में

तो बस यही मन कहता है

सरजमीं है वादी हमारी

मेरे हर रोम रोम में इसका नूर बसता है।


इस वादी का क्या बताऊं

वादी बहुत प्यारी है।

 
 
 

Comments


Post: Blog2 Post
bottom of page