प्रिन्स रोहित
अपनी रचनात्मकता में कवि आशाओं और प्रार्थनाओं के साथ नए कशमीर का सपना देख रहा है।
तसवीर नइ
अब मेरे कश्मीर की
लेहर उठी है उमीद की
होगा मुस्तकबील ज़रीन
बेहत्तर बनेगी ज़िन्दगी
अब मेरे कश्मीर की
है सरज़मीन मेहक रही
हर डालि चहक रही
जशन मन रहा है हर गली
अब मेरे कश्मीर की
ख़ुशियों के रंग ओढ़ कर
झूम उठे पते चिनार के
लीये खुश्बू वतनपरस्ती की
ह्वा भी है बेह रहि रही
अब मेरे कश्मीर की
रात वो अंधेरी, मयूसी जीस में थी बसी
गुज़रा वक़्त वो हो गयी
तरकी की चाहत लीऍ दिल मे
जगी है आवाम
अब मेरे कश्मीर की
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