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Writer's pictureSoldier Stories Of Kashmir

इस जन्नत के वास्ते


 

इन आँखों ने देखे हैं ख्वाब बहुत बनाए हैं मंसूबे कई इस जन्नत के वास्ते सफर का आगाज है कर दिया अब निकल चले हैं कदम भी इस जन्नत के वास्ते माना है दूर मंजिल अभी मुश्किलों से तारुफ होगा कई इस जन्नत के वास्ते ख्वाब कुछ हकिकत है हुए कईयों के बन रहे रास्ते इस जन्नत के वास्ते कोशिशों पर हमारी नियमत है खुदा की हम थक कर भि रुकेंगे नहीं इस जन्नत के वास्ते

बाधाएं रोक लें बन कर चुनौति हमें ये मन में शत्रु के चाहत होगी थाम ले विजयरथ हमारा है उम्मीद कोई ऐसी बाघा होगी जो रक्षा करे हमारी कटार से ऐसा कोई कवच कोई एसी तलवार होगी गराजना आकाश मे थराएगी धरती जब रण की हुंकार होगी

वो निर्बल है बेखबर कहर हमारे हर वार में होगा विध्वंस की हर सीमा अब पार होगी लक्ष्य हमारा है लाहौर पर रणभूमि में कदमों की हमारे ना कोई ईस बार भी आहट होगी चाहता तो हू की रुक जाऊँ पर रुक मैं सकता नहीं उखड़ती हुई साँसों को काबु कर पाऊँ पर कर मैं सकता नहीं दूर है मंजिल, रास्ता है मुश्किल यू ही बस वापस मूड जाऊँ पर मूड मैं सकता नहीं है इन्तेज़ार में साथी जो उसे भूल जाऊँ पर भूल मैं सकता नहीं क्यूँ की विश्वास हूं और इन्तेज़ार हूं मैं उसका जो बाकी था रह गया वो वार हूं मैं उसका चाह कर भी मैं रुक जाऊँ कैसे ऐतबार हूं मैं उसका I






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