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सफ़ेद बर्फ

Writer's picture: Soldier Stories Of KashmirSoldier Stories Of Kashmir

सुर्ख सफेद जमीन ही दिखती है

नदी नालों का कोई आयाम नहीं

पेड़ों की डालों पर भी सफेदी है

हरे पत्तों की कोई बिसात नहीं।


इसी सैफ बर्फ़ के साथ रहना है

इसका मर्ज भी कोई और नहीं

अनजाने रास्तों पर चलना है

इस मंज़र पर कोई रास्ता, रास्ता नहीं।


बंकर की छत पर पड़ी जो है

जिंदगी से कुछ कमतर नहीं

उबाल कर गर्मजोशी से पीना है

इक कतरा भी नुकसान नहीं।


चलते पांव धंसे भी हैं

पर ये बेड़ियाँ तो नहीं

सांसे जो भाप बन खो जाती हैं

जिंदा होने का अकेला इश्तेहार नहीं।


सफेद चादर आज नयी फिर छायी है

शिकन मगर दिखती एक भी नहीं

ये जिंदगी हिन्दुस्तानी फौजी की है

पिघलती बर्फ के पानी की नहीं।

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