Vishal Sharma
कश्मीर घाटी पृथ्वी पर एक स्वर्ग है, जबकि कई खुद को सर्वशक्तिमान बनाने के लिए सुरम्य सुंदरता का उल्लेख करते हैं, अजीब तरह से कुछ लोग सुंदरता को अपने पैतृक अधिकार के रूप में दावा करते हैं। प्रकृति कभी एक से बंधी नहीं थी, कभी नहीं होगी। उस जीवन के लिए भगवान के प्रति आभारी रहें जो उसने आपको दिया ताकि आप उसकी चमत्कारी रचना की सराहना कर सकें। कवि प्रेम और सह-अस्तित्व का संदेश घर लाता है।
The Kashmir valley is a paradise on earth, while many refer the picturesque beauty to creation of Almighty himself, strangely some people claim the beauty as their ancestral right. Nature was never bound to one, shall never be. The poet brings home the message of love and coexistence.
ये दरिया भी उसके
ये परबत भी उसके
उसी की तो नेयमत
ये सारा जहाँ है
उसी की हैं नदियाँ
ये सहारा समंदर
रहमत से उसकी
सजी वादियाँ हैं
वो मूंदे जो आँखें
तो ढलता ये दिन है
वो खोले पलक तो
सवेरा हुआ है
हस दे अगर वो
तो आती बाहरें
उसकी उदासी ही
लाती खिज़ा है
उसके करम से ही
हस्ती है तेरी
चलती जो सांसे ये
उसकी रज़ा है
ये बारिश ये पतझड़
सब उसकी है मरज़ी
नवाज़िश से उसकी
बसी कहकशां है
तू तो है कतरा
ना खुद पे इतरा
न तेरी ज़मी ये
ना आसमां है
ना चाँद तेरा
सितारे ना सूरज
फिर किस बात का
तुझको खुद पे गुमां है
फिर किस बात का
तुझको खुद पे गुमां है
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