इस जन्नत के वास्ते
- Soldier Stories Of Kashmir
- Dec 15, 2021
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इन आँखों ने देखे हैं ख्वाब बहुत बनाए हैं मंसूबे कई इस जन्नत के वास्ते सफर का आगाज है कर दिया अब निकल चले हैं कदम भी इस जन्नत के वास्ते माना है दूर मंजिल अभी मुश्किलों से तारुफ होगा कई इस जन्नत के वास्ते ख्वाब कुछ हकिकत है हुए कईयों के बन रहे रास्ते इस जन्नत के वास्ते कोशिशों पर हमारी नियमत है खुदा की हम थक कर भि रुकेंगे नहीं इस जन्नत के वास्ते
बाधाएं रोक लें बन कर चुनौति हमें
ये मन में शत्रु के चाहत होगी
थाम ले विजयरथ हमारा
है उम्मीद कोई ऐसी बाघा होगी
जो रक्षा करे हमारी कटार से
ऐसा कोई कवच कोई एसी तलवार होगी
गराजना आकाश मे
थराएगी धरती
जब रण की हुंकार होगी
वो निर्बल है बेखबर
कहर हमारे हर वार में होगा
विध्वंस की हर सीमा अब पार होगी
लक्ष्य हमारा है लाहौर
पर रणभूमि में कदमों की हमारे ना कोई ईस बार भी आहट होगी
चाहता तो हू की रुक जाऊँ
पर रुक मैं सकता नहीं
उखड़ती हुई साँसों को काबु कर पाऊँ
पर कर मैं सकता नहीं
दूर है मंजिल,
रास्ता है मुश्किल
यू ही बस वापस मूड जाऊँ
पर मूड मैं सकता नहीं
है इन्तेज़ार में साथी जो
उसे भूल जाऊँ
पर भूल मैं सकता नहीं
क्यूँ की
विश्वास हूं और इन्तेज़ार हूं मैं उसका
जो बाकी था रह गया वो वार हूं मैं उसका
चाह कर भी मैं रुक जाऊँ कैसे
ऐतबार हूं मैं उसका I
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